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शालात्यागी कुसुम ने फिर किया शिक्षा का रुख, डॉक्टर बनकर करेगी परिवार का विकास
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शालात्यागी कुसुम ने फिर किया शिक्षा का रुख, डॉक्टर बनकर करेगी परिवार का विकास
एक प्रचलित मुहावरा मे कहा गया गया है , "जहां चाह वह राह" । इस मुहावरा को सच कर दिखाया है बीजापुर की सुदूर गाँव की रहनेवाली कुसुम ने, जिसने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से अपनी अधूरी शिक्षा पाने के लिए पुनः विद्यालय में दाखिला लिया । अब वह स्कूल में न कि सिर्फ पढ़ने के लिए जाती है बल्कि वह अपनी आँखों में परिवार को आर्थिक परेशानी से मुक्त करके विकास की रफ्तार पकड़ाने की सपने संजोये लिए हुए स्कूल जाती है।
प्रारंभिक परिस्थिति
कुसुम, एक किशोरी बालिका, जिसने कक्षा 2 तक की पढ़ाई की थी, अपने पारिवारिक तनाव और घर की कठिन परिस्थितियों के कारण स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो गई थी। चूंकि उसके माता-पिता अशिक्षित थे, जिसके चलते उसे शिक्षा का महत्व समझ में नहीं आ रहा था और इसी वजह से पढ़ाई में मन भी नहीं लगता था।
बीजादूतीर का हस्तक्षेप और रणनीति
इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान बीजादूतीर की स्वयंसेवक रंजिता कश्यप की नजर कुसुम पर पड़ी और उसने उसकी मदद करने का निर्णय लिया। उन्होंने कुसुम को "किशोरी शक्ति केंद्र" के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्र में शामिल किया। यहाँ, कुसुम को प्रतिदिन शिक्षा और किशोर सशक्तिकरण के विभिन्न विषयों पर शिक्षित किया गया।
- प्रेरक केंद्र : किशोरी सशक्तिकरण केंद्र बीजापुर
- प्रेरक व्यक्तित्व : रंजिता कश्यप और भारत कोराम, बीजादूतीर स्वयंसेवक
शिक्षा और सशक्तिकरण
रंजिता कश्यप और अन्य स्वयंसेवकों ने कुसुम और अन्य किशोरियों को निम्नलिखित महत्वपूर्ण विषयों पर जागरूक किया:
1. किशोरावस्था में शारीरिक परिवर्तन
2. सुरक्षित तथा असुरक्षित स्पर्श
3. बाल विवाह के दुष्परिणाम
4. बाल श्रम और भिक्षावृति
5. माहवारी स्वच्छता
6. अनौपचारिक शिक्षा
इन विषयों पर जागरूकता ने कुसुम के आत्मविश्वास को पुनर्जीवित किया और उसे अपनी शिक्षा के महत्व को समझाया। सफलता का परिणाम रंजिता कश्यप और बीजादूतीर स्वयंसेवकों के निरंतर प्रयासों का सफल परिणाम यह है कि कुसुम अब पुनः स्कूल जाने के लिए तैयार है। उसने डॉक्टर बनने का सपना देखा है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। कुसुम की पुनः स्कूल जाने की इच्छा जाहिर करने पर, बीजादूतीर के रंजिता कश्यप और भारत कोराम ने कुसुम को उसके गाँव के पास के स्कूल में ले जाकर उसका दाखिला करवाया। इस सत्र से कुसुम ने पुनः अपनी शिक्षा प्रारंभ की है।
इन विषयों पर जागरूकता ने कुसुम के आत्मविश्वास को पुनर्जीवित किया और उसे अपनी शिक्षा के महत्व को समझाया।
सफलता का परिणाम
रंजिता कश्यप और बीजादूतीर स्वयंसेवकों के निरंतर प्रयासों का सफल परिणाम यह है कि कुसुम अब पुनः स्कूल जाने के लिए तैयार है। उसने डॉक्टर बनने का सपना देखा है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
कुसुम की पुनः स्कूल जाने की इच्छा जाहिर करने पर, बीजादूतीर के रंजिता कश्यप और भारत कोराम ने कुसुम को उसके गाँव के पास के स्कूल में ले जाकर उसका दाखिला करवाया। इस सत्र से कुसुम ने पुनः अपनी शिक्षा प्रारंभ की है।