STORIES

16 Feb

रागिनी- एक माहवारी दूत बनने की कहानी

रागिनी- एक माहवारी दूत बनने की कहानी

रागिनी, सुकमा जिले के छिंदगढ़ विकासखण्ड के पाकेला गाँव की 22 साल की युवती है , वह एक ऐसी युवती  है,  जो अपने गाँव के लड़कियों और महिलाओं को मासिक धर्म के बारे में शिक्षा देने का कार्य कर रही है। उसका मकसद था कि लड़कियाँ और महिलाएँ इस स्वाभाविक प्रक्रिया को सही तरीके से समझें और इससे जुड़े  सभी मिथकों को दूर करें।

रागिनी की यह शुरुवात हुई, जब एक दिन उसके  गाँव के आंगनवाड़ी  में एक विशेष शिक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। उसमे सभी बालिकाओ को महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बताया, खासकर मासिक धर्म के बारे में।

इसके बाद, रागिनी ने गाँव की महिलाओं को साथ में बुलाकर एक उन्मुखीकरण  किया जहां उसने  उन्हें मासिक धर्म के बारे में खुलकर बातचीत करने का मौका दिया। रागिनी ने उन्हें बताया कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसमें कोई शर्म या खराब लगने वाली बात नहीं होनी चाहिए।

गुजरते समय, रागिनी ने गाँव के स्कूलों और महिला समूहों को भी जाकर शिक्षा देने का कार्य किया और उन्हें इस विषय में जागरूक किया। उसका संदेश था कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य की देखभाल को लेकर खुले मन से बातचीत करें और इसे एक स्वाभाविक प्रक्रिया के रूप में स्वीकार करें।

रागिनी की कड़ी मेहनत और समर्पण ने आज वह पास के गाव और सचूलों मे  बदलाव देख रही है, महिलए अपनी बैट उससे कर रहे है। उसने गाँव को महसूस कराया कि महिलाएं भी अपने स्वास्थ्य के मामले में सकारात्मक रूप से सोच सकती हैं और इसमें खुले मन से बातचीत करना जरूरी है।

रागिनी आज अपने इस कार्य को एक संस्था के साथ मिलकर कर रही है और इससे जुड़ी और बातों को किशोरियों तक पोहोचा रही है। 


Share