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नौकरी छोड़कर खोला साइकिल कैफे, पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को गिफ्ट कर रहें हैं पौधा
- Sourabh
नौकरी छोड़कर खोला साइकिल कैफे, पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को गिफ्ट कर रहें हैं पौधा
रायपुर। कोरोना काल में लाकडाउन के समय से राजधानी रायपुर में साइकिलिंग का क्रेज बढ़ गया है। कोरोना महामारी जैसी आपदा में लोगों ने अवसर भी तलाशा है। राजधानी के युवा राघवेंद्र साहू लाकडाउन के दौरान साइकिलिंग से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने नौकरी छोड़कर साइकिल कैफे खोल दिया। उन्होंने बताया कि एक समय साइकिल चलाने में जहां लोग अपनी तौहीन समझते थे, वहीं लग्जरी कार के मालिक भी साइकिल की सवारी कर रहे हैं। लोग फिट रहने के लिए साइकिल का प्रयोग कर रहे हैं। यही कारण है कि राजधानी में पिछले दो साल में साइकिल की बिक्री में काफी बढ़ोतरी वृद्धि हुई है। उन्होंने बताया कि 15 साल का कैरियर छोड़कर साइकिल कैफे खोलना काफी मुश्किलों भरा था, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने साइकिल कैफे ओपन किया और अपने साथ दूसरों को भी रोजगार दे रहें हैं। इस साइकिल कैफे को खुले हुए 2 साल हो गए हैं अब तक करीब दो हज़ार से भी अधिक साइकिल की बिक्री हो चुकी है। वह पर्यावरण संरक्षण को लेकर कैफे से साइकिल खरीदने वाले को अपनी तरफ एक पौधा गिफ्ट करते हैं।
पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए लोगों को गिफ़्ट कर रहें हैं पौधा
राघवेंद्र साहू ने बताया कि जो लोग साइकिल चलाते हैं वो भी एक तरिके से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करते हैं। इसीलिए वो उनके कैफे से साइकिल खरीदने वाले हर व्यक्ति को नर्सरी से पौधा ख़रीदकर अपनी तरफ से एक पौधा और गमला गिफ़्ट कर पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करते हैं। उनके इस उपहार को लोग काफ़ी पसंद भी करते हैं। उन्होंने बताया कि अब तक वो तकरीबन दो हज़ार से अधिक पौधा गिफ्ट कर चुके हैं, इसके आलावा वे अपने घर में भी बागवानी लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अपना अहम योगदान दे रहें हैं।
साइकिल चलाने से मिलती है ताकत
आज के दौर में लोगों में साइकिलिंग के प्रति जागरुकता बढ़ने लगी है। इसका मुख्य कारण स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता है। 30 मिनट साइकिल चलाने से शारीरिक, मानसिक ताकत बढ़ती है। इसके अलावा लोग खुद को फिट करने के लिए भी साइकिल का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक ओर जहां लोगों की सेहत सुधर रही है, वहीं साइकिल कारोबार को भी संजीवनी मिली है।