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19 Jul

किशोरियों के लिए आत्मरक्षा की किरण लेकर आई यामिनी, बनी सुरक्षा कवच

किशोरियों के लिए आत्मरक्षा की किरण लेकर आई यामिनी, बनी सुरक्षा कवच


बीजापुर जिले में जहां बालिकाओं की सुरक्षा एक चिंतनीय विषय रहा है ऐसी स्थिति में एक महिला आती है और किशोरियों में आत्मरक्षा की उम्मीद जगा जाती है। जिले के संवेदनशील इलाके में बीजापुर ब्लॉक की निवासी एक साहसी और प्रेरणादायक महिला यामिनी गोरला ने समाज में सकारात्मक सुरक्षा का बदलाव लाने के लिए एक अनोखी पहल की है। उन्होंने स्वयंसेवक के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी प्रेरणा और मेहनत ने स्कूलों में आत्मरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

पृष्ठभूमि

बीजापुर, एक क्षेत्र जो अपने संवेदनशील सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितियों के लिए जाना जाता है, वहाँ की बालिकाएँ अक्सर सुरक्षा की चिंता में रहती हैं। यामिनी गोरला ने इस स्थिति को बदलने का निर्णय लिया। उनका उद्देश्य था कि स्थानीय स्कूलों में आत्मरक्षा के माध्यम से लड़कियों को सशक्त बनाया जाए ताकि वे सुरक्षित और आत्म-निर्भर महसूस कर सकें।


योजना और कार्यान्वयन

यामिनी ने अपनी योजना को धरातल पर उतारने के लिए बीजापुर जिले के पांच स्कूलों का चयन किया। इनमें प्राथमिक और माध्यमिक दोनों प्रकार के स्कूल शामिल थे। उन्होंने कराटे के माध्यम से आत्मरक्षा की कला को सिखाने का निर्णय लिया, जिससे न केवल शारीरिक ताकत बढ़े, बल्कि मानसिक रूप से भी छात्राएँ सशक्त बन सकें।

प्रारंभ में, यामिनी ने इन स्कूलों में कराटे के बेसिक प्रशिक्षण की कक्षाएं शुरू की। उन्होंने लड़कियों को आत्मरक्षा की बुनियादी तकनीकें सिखाईं, जैसे कि हिटिंग, किकिंग, और बलात्कारी हमलावरों से बचने के उपाय। यामिनी की शिक्षा का तरीका न केवल तकनीकी था, बल्कि उसने आत्मविश्वास और मनोबल को भी मजबूत किया।

प्रभाव और सफलता

यामिनी के प्रयासों का परिणाम बेहद सकारात्मक रहा। स्कूलों में प्रशिक्षित बालिकाएँ आत्मरक्षा की तकनीकों को अपने जीवन में अपनाने लगीं। उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई, और वे अब आत्म-सुरक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार महसूस करती हैं।

पिता और परिवार के सदस्यों ने भी यामिनी के प्रयासों की सराहना की और उनकी पहल को बहुत महत्व दिया। यामिनी की कक्षाओं ने न केवल लड़कियों को शारीरिक रूप से सशक्त किया, बल्कि उन्हें आत्म-संरक्षण और आत्म-निर्भरता का विश्वास भी दिलाया।


निष्कर्ष

यामिनी गोरला की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति की लगन और साहस समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है। बीजापुर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में आत्मरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाने का उनका प्रयास निश्चित रूप से एक नई दिशा की शुरुआत है। उनकी यह पहल न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य में भी लड़कियों की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध होगी।



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