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20 Jan

*सफर - गांव की नन्ही बच्ची से जागरूक करने वाली बेटी तक*

*सफर - गांव की नन्ही बच्ची से जागरूक करने वाली बेटी तक*

विद्यालयीन शिक्षा प्राप्त करते हुए रुचिता भारत स्काउट्स एवं गाइड्स से जुड़ी व इसमें सभी सोपान को पूर्ण करते हुए राज्यपाल पुरस्कार रेंजर पुरस्कार प्राप्त किया । जब वह भारत स्काउट्स एवं गाइड्स से जुड़ी तब उसके अंदर बहुत सारे बदलाव महसूस किये गए की कई कैसे एक शांत रहने वालीं लड़की जो अपनी बातों को नहीं रख सकती थी।

वह अब आगे आकर कैसे लोगो को जागरूक कर रही है जिसमें प्रमुख रूप से प्रत्येक वर्ष रूचिता ने अपने दल के अन्य सदस्यों को प्रेरित करते हुए गांव के खाली जमीनों पर वृक्षारोपण किया, गांव में होने वाले सामाजिक कार्यों में सहयोग प्रदान किया, देश में चल रहे स्वच्छता अभियान में सहयोग प्रदान किया और साथ ही साथ अपने दल के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर अपने गांव में स्वच्छता जागरूकता, माहवारी स्वच्छता जागरूकता तथा कोरोना काल जैसी आपदा में लोगों तक राशन पहुंचाया, सैनिटाइजर, मास्क वितरण कर लोगों तक सहायता पहुंचाया ।

प्रत्येक वर्ष गर्मी के दिनों में पशु पक्षियों के लिए जल व भोजन की व्यवस्था करते हैं और राहगीरों के लिए भी शीतल जल की व्यवस्था प्याऊ घर चला कर करते हैं । जैसे की रूचिता कुछ समय पूर्व तारुण्य वार्ता से जुड़ी और इस जुड़ वह अन्य विषयों को भी जान पाई जैसे किशोरी अवस्था में होने वाले बदलाव के बारे में जाना की हमारे शरीर किस तरह बदलाव आते है और इसे हमे स्वीकार करना चाहिए लड़कियों के जीवन में एक बड़ा बदलाव आता है जैसे की माहवारी ,जिसे समाज में अभिशाप माना जाता है किंतु यह अभिशाप नहीं वरदान है ये एक ऐसी सोच है |

जिसे बदलना बहूत मुश्किल है परंतु रुचिता ने हिम्मत नही हारी और इन विषयों को लेकर वह समाज में गई और युवती/महिला के जीवन में माहवारी से जुड़ी बातों को गांव के लोगों के सामने रख जागरुक कर उनकी मानसिकता को बदलने का प्रयास किया पहले माहवारी के बारे में लोग खुलकर बात नहीं कर पाते थे पर जब से हमने लोगों को इस बारे में बताया है तब से लोग बिना झिझक के इस विषय पर चर्चा करते हैं व अपने परिजनों से बात कर पाते हैं । रुचिता कहती है की उसका यह सफर आसान नही था कई मुश्किलें आई लोग पहले बात सुनना भी नही चाहते थे परंतु निरंतर प्रयास रुचिता ने जारी रखा है 


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