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शिक्षा की राह में एक कदम: ग्राम कोरलापाल की कहानी
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शिक्षा की राह में एक कदम: ग्राम कोरलापाल की कहानी
दंतेवाड़ा जिले के बारसूर क्षेत्र से संबंधित गाँव कोरलापाल, एक छोटा और दूरस्थ ग्राम-पंचायत है, जहां ग्रामीण ज्यादातर कृषि और रोजगार के क्षेत्र में अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। इस ग्राम की आर्थिक स्थिति के कारण, बच्चों को भी किसी न किसी छोटे मोटे काम में जुटना पड़ता है ताकि घर की आर्थिक स्थिति में सहारा हो सके। इससे ग्राम मुचनार के बच्चों का शिक्षा प्रभावित हो रहा है और वे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
दंतेवाड़ा जिले में बैलाडीला खनिज उद्योग, एक प्रमुख प्राकृतिक सम्पदा, ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के माध्यम से ग्राम कोरलापाल के लिए कुछ राशि दान की है। इस साहयता से ग्राम के महिलाएं, पुरुष और बच्चों को शिक्षित बनाने और उनके लिए एक बेहतर भविष्य की ओर पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
ग्राम कोरलापाल में एक एकल विद्यालय की स्थापना की गई है, जिसे रात्रि के समय स्कूल के रूप में संचालित किया जा रहा है ताकि काम करने वाले बच्चों और वयस्कों को समाहित किया जा सके। इस परियोजना में समर्थन मिला है और उसमें समर्पित युवा स्वयंसेवक संजय नाग भी शामिल हैं। संजय ने पिछले दो वर्षों से सामाजिक कार्यों में स्वयंसेवी भूमिका में सक्रिय भूमिका निभाई है और विशेष रूप से बच्चों के संरक्षण के माध्यम से उनके सशक्तिकरण की कार्यक्रमों में सहायक हैं।
वर्तमान में, ग्राम कोरलापाल की रात्रि स्कूल में 25 से 30 बच्चे और 5-6 महिलाएं और पुरुष हर शाम सक्रिय रूप से शिक्षा प्राप्त करने के लिए पहुंचते हैं। इन शिक्षित बच्चों में से कुछ अब स्कूल में भी दाखिला कर रहे हैं, जिससे ग्राम कोरलापाल की शिक्षा में सकारात्मक परिवर्तन की कहानी बन रही है।
यह कहानी दिखाती है कि समुदाय, कॉर्पोरेट समर्थन, और प्रेरित व्यक्तियों के संयुक्त प्रयासों से ग्राम कोरलापाल एक नए और शिक्षित भविष्य की दिशा में कैसे बढ़ रहा है।