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फैमिली प्लानिंग के लिए समाजिक स्तर पर अवेयरनेस लाना जरूरी - सरिता सोनवानी
- Sourabh
फैमिली प्लानिंग के लिए समाजिक स्तर पर अवेयरनेस लाना जरूरी - सरिता सोनवानी
रायपुर। नीड आफ फैमिली प्लानिंग इन इंडिया विषय पर जानकारी साझा करते हुए शोधार्थी सरिता सोनवानी ने कहा कि भारत में परिवार नियोजन की शुरुआत 1952 में प्रथम पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत फैमली प्लानिंग को एक विकल्प के तौर पर दिया गया। ताकि बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियंत्रण किया जा सके।
सेक्स एजुकेशन पर अवेयरनेस लाना जरूरी
शोधार्थी सरिता सोनवानी ने कहा कि विश्व में भारत ही पहला ऐसा देश है जहां से फैमिली प्लानिंग की शुरुआत हुई। फैमिली प्लानिंग ना केवल जनसंख्या नियंत्रण के लिए जरूरी है। बल्कि फैमिली प्लानिंग के लिए समाजिक स्तर पर लोगों में सेक्स एजुकेशन पर अवेयरनेस लाना जरूरी है। ताकि उससे लोगों में जागरूकता आए और वो फैमिली प्लानिंग मेथड को बखूबी समझ पाए।
ऐसे कर सकते हैं फैमिली प्लानिंग
उन्होंने कहा कि फैमिली प्लानिंग के दो चरण होते हैं जिनमें स्पेसिंग और परमानेंट मेथड शामिल है। उन्होंने nfhs 5 के डाटा का उदाहरण देते हुए कहा कि 66.7% आबादी ही फैमिली प्लानिंग मेथड को अपनाया है। वहीं महिला नसबंदी की बात करें तो 37.9% महिलाओं ने ही इसको अपनाया है। वहीं पुरुष नसबंदी की बात करें तो भारत में केवल 0.3 प्रतिशत लोगों ने ही इसको अपनाया है जो कि बेहद कम है। इसीलिए पुरुषों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना जरूरी है, ताकि परिवार नियोजन के अच्छे परिणाम आ सके।
बच्चों में कम से कम 3 साल का अंतर जरूरी
उन्होंने कहा कि भारत में बढ़ती जनसंख्या बहुआयामी समस्याओं को जन्म दे सकती है। जिसमें सबसे बड़ी चुनौती कम अंतराल में शिशुओं का जन्म होना है, जिसका सीधा प्रभाव माताओं के स्वास्थ्य पर पड़ता है। अतः जनसंख्या की बढ़ती आवृति और मातृत्व मृत्यु दर को घटाने हेतु आवश्यक है कि दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम 3 साल का अंतर जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि फैमली प्लानिंग केवल जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए नहीं बल्कि यह क्वालिटी ऑफ़ लाइफ को इंक्रीज करता है।
इस टाक शो को दीपिका सिंह स्टेट प्रोग्राम मैनेजर ने किया तथा तकनीकी संचालन सौरभ सिंह ट्रेनी प्रोग्राम कार्डिनेटर सौरभ सिंह ने किया व कंटेंट राइटिंग स्टेट प्रोग्राम कार्डिनेटर निखिल सिंह ने किया।